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विज्ञापन कीजिए, मगर संभलकर...

Nitika Ahluwalia
Nitika Ahluwalia Jun 17 2022 - 3 min read
विज्ञापन कीजिए, मगर संभलकर...
सरकार ने भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाने के साथ सेलिब्रिटी को लेकर भी नियम में सख्ती दिखाई है और साथ ही सरोगेट विज्ञापनों पर लगाया गया है।

केंद्र सरकार ने भ्रामक विज्ञापनों पर रोकथाम के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। सरकार ने उन भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाई है जो बच्चों को निशाना बना रहे हैं। मसलन, कंपनियां हेल्थ व न्यूट्रिशन से संबंधी फायदों के बारे मे झूठा दावा करके और गिफ्ट का लालच देकर बच्चों को सामान लेने के लिए राजी करती है, जो कि हानिकारक हैं। सरकार इस तरह के विज्ञापनों पर रोक लगा रही है। नए दिशानिर्देश पिछले सप्ताह शुक्रवार से ही लागू हो गए हैं।

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने भ्रामक विज्ञापनों को रोकने और विज्ञापनों के संबंध में उचित सावधानी बरते को कहा है। नए दिशानिर्देश में बच्चों को निशाना बनाने वाले विज्ञापनों के बारे में 19 प्रावधान किए हैं। अगर कोई इसका उल्लंघन करता है तो ऐसे में केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम (सीसीपीए) के तहत कार्रवाई की जाएगी। मंत्रालय द्वारा जारी किए गए नियम प्रिंट, टेलीविजन और ऑनलाइन जैसे सभी प्लेटफॉर्म पर लागू होंगे।

सरकार ने दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने पर जुर्माने की भी स्पष्ट रूपरेखा तैयार की है। नए नियमों के मुताबिक भ्रामक विज्ञापनों का समर्थन करने वालों पर उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण द्वारा 10 लाख रुपए और नियमों का बार बार उल्लंघन करने पर 50 लाख रुपए तक का जुर्माना लगया जा सकता है।

सरोगेट विज्ञापन क्या है

सरोगेट विज्ञापन यानी आप जिस प्रोडक्ट का प्रचार करना चाहते हैं उस प्रोडक्ट का प्रचार न करके उसी नाम से उसी कंपनी के दूसरे प्रोडक्ट का प्रचार करते हैं। उदाहरण के लिए, सोडा वाटर के बहाने अल्कोहल या ईलाइची के बहाने गुटखा का विज्ञापन करना। ऐसे सरोगेट विज्ञापनों पर भी प्रतिबंध लगाया गया है।

सेलिब्रिटी विज्ञापन

सरकार ने भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाने के साथ सेलिब्रिटी को लेकर भी नियम में सख्ती दिखाई है। अगर कोई सेलेब्रिटी किसी प्रोडक्ट का विज्ञापन करता है या उसके फायदे बताता है तो पहले उसे यह सुनिश्चित करना होगा कि जो फायदे वह बता रहा है, उन फायदों का वह भी लाभ ले चुका है। इसी तरह अगर प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनी में सेलेब्रिटी की कोई हिस्सेदारी हैए तो उसे यह जानकारी भी देनी होगी।

डिस्क्लेमर पर भी बताया गया

नियम और शर्तों में फ्री संबंधी कोई घोषणा की गई है तो उसके डिस्क्लेमर में भी फ्री लिखना होगा। यदि आपने किसी भी चीज का डिस्क्लेमर दिया है उसमे आपने हिंदी में मुफ्त लिखा है और बाकी नियम एवं शर्तों को अंग्रेजी में लिखा है तो ऐसे डिस्क्लेमर को नियमों का उल्लंघन माना गया है। कंपनियों को एक ही भाषा में पूरा डिस्क्लेमर देना होगा। इसके अलावा तुरंत आइए और खरीद लीजिए जैसे दावों का भी अब विज्ञापन नहीं कर सकेंगे।

बेट विज्ञापन

ग्राहको को आकर्षित करने के लिए कम कीमतों पर किसी भी सामान को बेचने को बेट विज्ञापन कहते हैं। इस पर सरकार के नियम यह हैं:

1.किसी प्रोडक्ट या सर्विस को सिर्फ बेचने के उद्देश्य से विज्ञापन नहीं किया जाएगाए बल्कि प्रोडक्ट को बेचने का कारण क्या हैएउस उद्देश्य से विज्ञापन किया जाएगा यानी की ग्राहक विज्ञापन के बाद आपके प्रोडक्ट को क्यों खरीदे।

2. विज्ञापन देना वाला यह सुनिश्चित करेगा कि उसके प्रोडक्ट या सर्विस की सप्लाई मांग को पूरा कर सकती है।

3. विज्ञापन देना वाले को यह विश्वास दिलाना होगा की उसका प्रोडक्ट सक्षम है और समय पर सप्लाई करेगा।

आपको बता दें कि सरकार ने हाल ही में लेयर शॉट विवाद के बाद भ्रम फैलाने वाले विज्ञापनों पर रोक लगा दी है। बॉडी स्प्रे ब्रांड लेयर शॉट डि-ओड्योरेंट के विज्ञापनों को लेकर काफी विवाद खड़ा हुआ था। ऐसे विज्ञापनों को लेकर सरकार ने नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। नियम के मुताबिक अब भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

 

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