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वर्ष 2023 में भारत में ईवी बाजार ऐसा दिखेगा

Nitika Ahluwalia
Nitika Ahluwalia Dec 30 2022 - 3 min read
वर्ष 2023 में भारत में ईवी बाजार ऐसा दिखेगा
इंडिया एनर्जी स्टोरेज एलायंस (आईईएसए) द्वारा जारी इंडिया इलेक्ट्रिक व्हीकल एंड कंपोनेंट मार्केट ओवरव्यू रिपोर्ट 2021-2030 के अनुसार भारत में इलेक्ट्रिक वाहन का बाजार 49 प्रतिशत सालाना की दर से बढ़ने का अनुमान है।

भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल का बाज़ार बहुत तेजी से बढ़ रहा है। कई स्टार्टअप और बड़े उद्योग इस सेक्टर में कदम रख चुके है। नए साल में ईवी उद्योग की तस्वीर कैसी होगी इस विषय पर ईवीआई टेक्नोलॉजीज के सह-संस्थापक विक्रांत के. अग्रवाल ने बताया की इंडिया एनर्जी स्टोरेज एलायंस (आईईएसए) द्वारा जारी इंडिया इलेक्ट्रिक व्हीकल एंड कंपोनेंट मार्केट ओवरव्यू रिपोर्ट 2021-2030 के अनुसार भारत में इलेक्ट्रिक वाहन का बाजार 49 प्रतिशत सालाना की दर से बढ़ने का अनुमान हैं।

भारत आज सरकारी नीतियों के कारण इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग में बढ़ोतरी को देखता है और इन वाहनों के उपयोग को प्रोत्साहित करता हैं। सरकार ने ईवी बाजार के विस्तार के लिए कई पहल की हैं।

हाल कि एक रिपोर्ट के अनुसार “वित्त वर्ष 2021 की तुलना में वित्त वर्ष 2022 में सभी सेगमेंट (दो-पहिया, तीन पहिया, चार पहिया और ई-बस) में ईवी की बिक्री में 110  प्रतिशत कि वृद्धि हुई है”। वर्ष 2023-2030 में इन इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती मांग और ज्याद कीमतों के अलावा चार्जिंग स्टेशनों की कमी से बाधा आएगी। इन दो पहलुओं पर ध्यान देने की ज्यादा आवश्यकता है।

भारतीय इलेक्ट्रिक वाहन बाजार  दो भाग में बटा हुआ है पहला सार्वजनिक और दूसरा निजी। सरकार सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को पूरी तरह से इलेक्ट्रिक में बदलने के लिए अपेक्षित कदम उठा रही है। जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने के लिए वैकल्पिक ईंधन स्रोतों को प्रोत्साहित करने वाली सरकारी नीतियों के कारण  सार्वजनिक वाहनों ने पर्याप्त बाजार हिस्सेदारी बनाए रखी है।यह बाजार आने वाले वर्षों में तेजी से आगे बढ़ेगा।

देश के निजी इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर कर लाभ और सब्सिडी के साथ इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग भी बढ़ेगी। उद्योग की मांग को पूरा करने के लिए ईवी क्षेत्र में ओईएम महत्वपूर्ण नेतृत्व की भूमिका निभाएंगे। सरकार ने उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन (पीएलआई) की शुरूआत के माध्यम से स्थानीय मैन्यूफैक्चरींग को प्रोत्साहित करके ईवी को अपनाने और बढ़ावा देने की भी मांग की।

भारत का ईवी उद्योग वर्ष 2030 तक दुनिया में सबसे बड़ा पद हासिल कर सकता है। हाल के अध्ययन के अनुसार भारत को 2030 तक देश भर में कम से कम 2 मिलियन(20 लाख) सार्वजनिक ईवी चार्जिंग पॉइंट की आवश्यकता है ताकि सरकारी लक्ष्य हासिल किया जा सके।

ईवी अपनाने का लक्ष्य वर्ष 2030 तक निजी कारों में 30 प्रतिशत, कमर्शियल वाहनों में 70 प्रतिशत, दो पहिया और तिन पहिया वाहनों में 80 प्रतिशत का है।
इंटरगवर्नमेंटल ऑन क्लाइमेट चेंज( आईपीसीसी- संयुक्त राष्ट्र की एक संस्था है जिसे जलवायु परिवर्तन के विज्ञान का आकलन करने के लिए 1988 में स्थापित किया गया था) के अनुसार परिवहन दुनिया के ऊर्जा से संबंधित ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लगभग 23 प्रतिशत के लिए जिम्मेदार है, जिसमें सड़क परिवहन कुल का 72 प्रतिशत है। जलवायु परिवर्तन को कम करने के प्रयास में सरकार ने पैसेंजर ऑटोमोबाइल जैसे वाहनों के लिए उत्तरोत्तर सख्त उत्सर्जन नियम पारित किए हैं।

भारत में कई ग्रामीण क्षेत्रों के लिए ईवी इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को किफायती बनाने के लिए लोन की आवश्यकता हो सकती है, क्योंकि ईवी इंफ्रास्ट्रक्चर की स्थापना के लिए पूंजी की आवश्यकता होगी। कुल मिलाकर, ईवी सेक्टर वित्त वर्ष 2023 के बाद ईवी फाइनेंसिंग, मोटर और उसके नियंत्रक, वाहन खुफिया प्रणाली, बैटरी स्वैपिंग और बैटरी सर्विस और व्यापक चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर नेटवर्क जैसे उप खंडों से प्रेरित होकर बहुत वांछित वृद्धि देखेगा।

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