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बिना इंटरनेट के 200 रूपये तक की खरीदारी कर सकेंगे, आरबीआई ने जारी किये नियम

Opportunity India Desk
Opportunity India Desk May 16 2022 - 3 min read
बिना इंटरनेट के 200 रूपये तक की खरीदारी कर सकेंगे, आरबीआई ने जारी किये नियम
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने के लिए एक रूपरेखा जारी की है। आरबीआई ने प्रति ट्रांजैक्शंन 200 रुपये तक के ऑफलाइन भुगतान की अनुमति दी है।

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने गांवों और कस्बों में डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने के लिए पिछले साल यह पहल की थी, लेकिन अब इसका फ्रेमवर्क जारी करते हुए नियमों को मंजूरी दे दी गई है। आरबीआई ने प्रति ट्रांजेक्शन 200 रुपये तक के ऑफलाइन भुगतान की अनुमति दी है। इसकी कुल सीमा 2,000 रुपये होगी।

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने अपने बयान में कहा कि आप ऑफलाइन तरीके से भुगतान कर सकते है किसी भी माध्यम से चाहे वे वॉलेट हो, कार्ड हो या फिर मोबाइल उपकरणों से भी किया जा सकता है। डिजिटल ट्रांजेक्शन के लिए एडिशनल वेरिफिकेशन फैक्टर (एएफए) की जरूरत नहीं होगी, क्योकि भुगतान ऑफलाइन होगा और ग्राहकों को कुछ समय बाद एसएमएस या फिर ई-मेल के जरिए अलर्ट मिल जाएगा।

रिजर्व बैंक ने कहा है कि गांवों और कस्बों जैसे क्षेत्रों में जहां इंटरनेट की सुविधा बहुत कमजोर है, वहां पर ऑफलाइन ट्रांजेक्शन को बढ़ावा मिलेगा। यह व्यवस्था तत्काल प्रभाव से लागू हो गई है। केंद्रीय बैंक ने स्पष्ट किया है कि ऑफलाइन भुगतान का उपयोग ग्राहकों की अनुमति के बाद ही किया जा सकता है।
केंद्रीय बैंक ने कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों में सितंबर 2020 से जून 2021 के दौरान पायलट आधार पर ऑफलाइन लेनदेन शुरू किया गया था। इसी पर मिली प्रतिक्रिया के आधार पर यह रूपरेखा तैयार की गई है।

आरबीआई के मुताबिक छोटी वैल्यू के ऑफलाइन भुगतान को संभव बनाने और इसके लिए तकनीक विकसित करने की दिशा में काम हो रहा है। आने वाले समय में इसे ज्याद सशक्त बनाया जा सकेगा। इसका उद्देश्य फीचर फोन रखने वाले ग्रामीण लोगों के बीच बिना इंटरनेट के डिजिटल पेमेंट की सुविधा को दिलाना है।

आरबीआई क्या है

भारतीय रिजर्व बैंक देश का केन्द्रीय बैंक है। भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना 1935 में बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1934 के तहत 5 करोड़ रूपए की शुरूआती धनराशि के साथ की गई थीl उस समय भारतीय रिजर्व बैंक के लगभग सभी शेयरों का स्वामित्व गैर-सरकारी शेयरधारकों के हाथों में था, इसलिए कुछ लोगों के हाथों में शेयरों के केन्द्रीयकरण को रोकने के लिए, 1 जनवरी 1949 को भारतीय रिजर्व बैंक का राष्ट्रीयकरण किया गया थाl

भारतीय रिजर्व बैंक के पास देश में नोटों को छापने का एकाधिकार है। एक रूपए के नोट को छोड़कर सभी प्रकार के नोट जारी करने का अधिकार है। एक रूपए का नोट केवल वित्त मंत्रालय द्वारा जारी किया जाता है।

भारतीय रिजर्व बैंक का दूसरा महत्वपूर्ण कार्य भारत सरकार और राज्यों के बैंक, एजेंट और सलाहकार के रूप में कार्य करना है। यह राज्य और केन्द्र सरकार के सभी बैंकिंग कार्य करता है और आर्थिक और मौद्रिक नीति से संबंधित मामलों पर सरकार को उपयोगी सलाह भी देता है। यह सरकार के सार्वजनिक ऋण का प्रबंधन भी करता है।

भारतीय रिजर्व बैंक कई अन्य विकास कार्यों को करता है। इन कार्यों में कृषि के लिए ऋण का अनुमोदन और कार्यान्वयन (जोकि नाबार्ड को स्थानांतरित किया जाता है), सरकारी प्रतिभूति और व्यापारिक बिलों की खरीद-बिक्री, सरकारी खरीद के लिए ऋण देना और मूल्यवान वस्तुओं की बिक्री आदि शामिल हैl यह अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में भारत सरकार के प्रतिनिधि के रूप में भी कार्य करता है और भारत की सदस्यता का प्रतिनिधित्व करता है।

भारत का केन्द्रीय बैंक देश की मौद्रिक नीति को बनाता है और उन सभी उपायों को करता है जिससे कि अर्थव्यवस्था में आवश्यकता के अनुसार मुद्रा की पूर्ती सुनिश्चित की जा सके।

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