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आरबीआई ने डिजिटल लोन देने के लिए जारी की नई गाइडलाइन

Opportunity India Desk
Opportunity India Desk Aug 11 2022 - 3 min read
आरबीआई  ने डिजिटल लोन देने के लिए जारी की नई गाइडलाइन
आरबीआई ने डिजिटल कर्ज के क्षेत्र में बढ़ती गड़बड़ी को रोकने के लिए यह सख्त कदम उठायाहैं। इसके अलावा आरबीआई ने कहा कि क्रेडिट मध्यस्थता प्रक्रिया में लोन सर्विस प्रोवाइडर (एलएसपी) को देय शुल्क का भुगतान कर्ज लेने वालों को नहीं, बल्कि डिजिटल लोन देने वाली संस्थाओं को करना चाहिए

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने डिजिटल लोन देने के लिए सख्त गाइडलाइन जारी की है। इसके तहत केंद्रीय बैंक ने कहा कि डिजिटल लोन सीधे कर्ज लेने वालों के बैंक खातों में जमा किया जाना चाहिए, न कि किसी तीसरे पक्ष के माध्यम से।

आरबीआई ने डिजिटल कर्ज के क्षेत्र में बढ़ती गड़बड़ी को रोकने के लिए ये सख्त कदम उठाया हैं। इसके अलावा आरबीआई ने कहा कि क्रेडिट मध्यस्थता प्रक्रिया में लोन सर्विस प्रोवाइडर (एलएसपी) को देय शुल्क का भुगतान कर्ज लेने वालों को नहीं, बल्कि डिजिटल लोन देने वाली संस्थाओं को करना चाहिए।

आरबीआई ने डिजिटल उधार के लिए दिशानिर्देश जारी करते हुए मुख्य रूप से तीसरे पक्ष के बेलगाम जुड़ाव, गलत बिक्री, डाटा गोपनीयता का उल्लंघन, अनुचित व्यावसायिक आचरण, अत्यधिक ब्याज दरों और अनैतिक वसूली प्रथाओं से संबंधित चिंताओं का उल्लेख किया।

आरबीआई ने 13 जनवरी 2021 को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और मोबाइल ऐप्लिकेशन के जरिए लोन देने सहित डिजिटल उधार’ (डब्ल्यूजीडीएल) पर एक कार्य समूह का गठन किया था। केंद्रीय बैंक ने आगे कहा कि नियामक चिंताओं को कम करते हुए डिजिटल लोन विधियों के जरिए कर्ज देने के व्यवस्थित वृद्धि का समर्थन करने के लिए नियामक ढांचे को मजबूत किया गया है। यह नियामक ढांचा इस सिद्धांत पर आधारित है कि उधार देने का व्यवसाय सिर्फ ऐसी संस्थाओं द्वारा किया जाए, जो या तो रिजर्व बैंक द्वारा रेगुलेट हैं या जिन्हें किसी अन्य कानून के तहत ऐसा करने की अनुमति मिली है।

रिजर्व बैंक द्वारा जारी नॉर्म्स में कर्ज लेने वाले की पूर्व-सहमति के बिना उसकी क्रेडिट लिमिट बढ़ाने पर भी रोक लगाई गई है। इसके अलावा कर्ज पर वसूली जाने वाली ब्याज दर और दूसरे चार्जेज की जानकारी भी कर्ज लेने वाले को साफ-साफ शब्दों में देनी होगी।

भारतीय रिजर्व बैंक ने पिछले साल की शुरुआत में डिजिटल लेंडिंग के बारे में नॉर्म्स बनाने के लिए एक कमेटी का गठन किया था। आरबीआई को कर्ज लेने वालों की तरफ से शिकायतें मिली थीं कि डिजिटल लेंडिंग ऐप (डीएलए) द्वारा गलत तौर-तरीके अपनाए जा रहे हैं। इसी के बाद रिजर्व बैंक ने यह कदम उठाया था। जनवरी 2021 में रिजर्व बैंक द्वारा गठित इस वर्किंग ग्रुप ने नवंबर 2021 कुछ सिफारिशें की थीं, जिनमें डिजिटल लेंडर्स पर ज्यादा सख्त नियम लागू किए जाने का सुझाव दिया गया था। इनमें से कुछ सिफारिशों को मंजूर किया जा चुका है, जबकि कई सुझावों पर विचार हो रहा है।

रिजर्व बैंक की नई गाइडलाइन में यह भी कहा गया है कि डिजिटल लेंडिंग ऐप्स अगर किसी तरह की फीस लेते हैं, तो उसका भुगतान कर्ज देने वाले बैंक या वित्तीय संस्थान को करना होगा। ऐसी किसी भी फीस का बोझ कर्ज लेने वाले पर नहीं डाला जाना चाहिए। इसके अलावा रिजर्व बैंक ने अपने दिशानिर्देशों में डिजिटल लेंडिंग ऐप्स के जरिए डाटा कलेक्ट किए जाने के मसले पर भी ध्यान दिया है। आरबीआई ने इस मसले का जिक्र करते हुए कहा की डिटिजल लेंडिंग ऐप्स के जरिए सिर्फ वही डाटा कलेक्ट किया जाना चाहिए, जो जरूरी हो और उसका ऑडिट ट्रेल भी स्पष्ट होना चाहिए। इसके अलावा डाटा कलेक्शन के लिए कर्ज लेने वाले की स्वीकृति भी पहले से लेनी होगी।

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