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ईवी उद्योग को नई पहल की आस

Toshi Shah
Toshi Shah Jan 20 2023 - 3 min read
ईवी उद्योग को नई पहल की आस
केंद्रीय बजट 2023-24 के प्रावधान सामने आने में दो सप्ताह से भी कम समय रह गया है। इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग इस बजट का बेसब्री से इंतजार कर रहे है, क्योंकि उन्हें उम्मीद है कि सरकार इस सेक्टर पर इस बार खास ध्यान देने वाली है।

हर वर्ष की शुरुआत के साथ ही देश के आम आदमी, वेतनभोगी कर्मचारी और कारोबारियों समेत सबकी नजर केंद्रीय आम बजट पर टिक जाती है। पिछले कई वर्षों की तरह इस बार भी यह बजट पहली फरवरी को संसद के पटल पर रखा जाएगा। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण यह बजट पेश करेंगी। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार का 9वां और निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किया जाने वाला यह पांचवी बजट होगा।

एनसीआर क्षेत्र के ग्रेटर नोएडा में पिछले दिनों ऑटो एक्सपो, 2023 का समापन हुआ है। इस एक्सपो में इलेक्ट्रिक व्हीकल में लोगों ने काफी दिलचस्पी दिखाई, जिससे यह कहा जा सकता है कि आने वाले समय में में इलेक्ट्रिक व्हीकल की काफी मांग रहेगी। देश के ईवी और स्मार्ट मोबिलिटी के उद्योग को इस बार के बजट से बड़ी उम्मीदें हैं।

ईवी निर्माता एट्रियो ऑटोमोबाइल्स के सह-संस्थापक और मैनेजिंग डायरेक्टर कल्याण सी. कोरिमेरला को सरकार से उम्मीद है कि सरकार द्वारा नेट जीरो इमीशन यानी प्रदूषण मुक्ति लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए निर्माण क्षमताओं को मजबूत बनाएगी और स्थानीय आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करेगी। उन्होंने कहा, “हमारा मानना है कि आगामी केंद्रीय बजट में इनोवेशन और क्षमता निर्माण का समर्थन करने और ईवी अपनाने को पुरस्कृत करने के लिए और अधिक योजनाओं और नीतियों को पेश करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।“

अल्टिग्रीन प्रोपल्शन लैब्स के सीईओ और संस्थापक डॉ. अमिताभ सरन ने बजट से अपेक्षाओं के बारे में कहा, “यह उल्लेखनीय है कि भारत सरकार की फेम जैसी सब्सिडी योजनाओं ने इस विकास का समर्थन किया है। इलेक्ट्रिक तिपहिया सेक्टर, जो पूरे भारत में बड़े पैमाने पर सार्वजनिक परिवहन की रीढ़ हैं, इस परिवर्तन का नेतृत्व कर रहा है। भारत सरकार संज्ञान लेगी और फेम-प्प् योजना को दोपहिया वाहनों के समान ही विस्तारित करेगी। ऐसा करने से तिपहिया वाहन मालिकों की आजीविका पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।“

वाहन की कीमत अभी सबसे बड़े मुद्दों में से एक है। सरन ने इस समस्या के समाधान का सुझाव देते हुए कहा, “वाणिज्यिक बैंकों को वित्तपोषण सहायता के साथ कदम बढ़ाने और ब्याज दरों को कम करने के लिए प्रेरित करने की आवश्यकता है। हम जीएसटी दरों के युक्तिकरण के लिए भी तत्पर हैं। वर्तमान में ईवी की बिक्री पर पांच प्रतिशत जीएसटी लगाया जाता है, लेकिन मूल उपकरण निर्माता स्पेयर पार्ट्स के लिए 28 प्रतिशत जीएसटी का भुगतान करते हैं। उन्हें पांच प्रतिशत ब्रैकेट के दायरे में लाने से कीमतों में कमी आ सकती है और ईवी अपनाने में तेजी बढ़ सकती है।“

लॉग9 मैटेरियल्स के सीईओ और संस्थापक डॉ. अक्षय सिंघल, ने कहा कि सरकार को देश में ईवी में तेजी लाने के लिए ईवी को प्राधमिकता क्षेत्र को कर्ज (पीएसएल) में शामिल करना चाहिए। आगामी केंद्रीय बजट 2024 में, सरकार को ईवी को सस्ता करने और उन्हें जनता के लिए अधिक किफायती बनाना होगा। "जब प्रोत्साहन और वित्तीय क्षमता की बात आती है, तो सरकार को न केवल निर्माताओं द्वारा किए गए उत्पादन की मात्रा को ध्यान में रखना चाहिए, बल्कि सुरक्षा, दीर्घायु और फास्ट-चार्जिंग के मामले में वाहनों और बैटरी तकनीक की श्रेष्ठता को भी ध्यान में रखना चाहिए।"

 

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